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एक अनसुलझी पहेली... ज़िंदगी। मुकद्दर कहां था,कहां

एक अनसुलझी पहेली... ज़िंदगी।
मुकद्दर कहां था,कहां जा पहुंची।
एक किस्से ने जिंदगी तीतर-बीतर बना दी,
उसके बाद क्या, मुसीबतों ने हौड़ लगा दी।
सपने उजड़ते गए,हम बेहाल होते गए,
इस तरह हम बर्बाद होते गए।

अब सिर्फ सूना दिल और सूने जज़्बात,
खुशियों का नकाब और रूह अंदर कब्रिस्ता।

खलिश जाती नहीं खुशी अब आती नहीं।

©Anuradha Sharma #life #zindigiqoute #thoughtoftheday #urdu #poem #yqquotes 
#safarnama
एक अनसुलझी पहेली... ज़िंदगी।
मुकद्दर कहां था,कहां जा पहुंची।
एक किस्से ने जिंदगी तीतर-बीतर बना दी,
उसके बाद क्या, मुसीबतों ने हौड़ लगा दी।
सपने उजड़ते गए,हम बेहाल होते गए,
इस तरह हम बर्बाद होते गए।

अब सिर्फ सूना दिल और सूने जज़्बात,
खुशियों का नकाब और रूह अंदर कब्रिस्ता।

खलिश जाती नहीं खुशी अब आती नहीं।

©Anuradha Sharma #life #zindigiqoute #thoughtoftheday #urdu #poem #yqquotes 
#safarnama