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दिल का सुकून ढुंढने निकलीं हूं इन राहों पर मगर शहर

दिल का सुकून ढुंढने निकलीं हूं इन राहों पर
मगर शहर दर शहर छुटते जा रहे पिछे,
ना सुकून मिला ना खत्म ये सफर हुआ।

रास्ते भी मेरी बेचेंनी देख बोले
अगर ये सुकूं तुझमें नहीं तो ओर कहीं नहीं। #दिल_का_सुकून
दिल का सुकून ढुंढने निकलीं हूं इन राहों पर
मगर शहर दर शहर छुटते जा रहे पिछे,
ना सुकून मिला ना खत्म ये सफर हुआ।

रास्ते भी मेरी बेचेंनी देख बोले
अगर ये सुकूं तुझमें नहीं तो ओर कहीं नहीं। #दिल_का_सुकून