रौशनी के नाम पर फैला जिधर देखो धुआं ही धुआं है जिंदगी कौन–सा खेल है कोई मुझसे पूछे तो जुआ है —शिव आनन्द सुन गर तेरी यही #रजा है फिर मुझसे न पूछ क्या है #झूठ को #सच बना दिया है ये तो उसकी ही #अदा है रौशनी के #नाम पर फैला जिधर देखो #धुआं ही धुआं है