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माँ की ममता की फुहार का, मैं कैसे गुणगान करूँ।।

माँ की ममता की फुहार का, 
मैं कैसे गुणगान करूँ।। 
कितने हैं उपकार मात के, 
उसका कैसे गान करूँ।।
माँ की लोरी से बेहतर, 
न आज तलक संगीत मिला।। 
अक्षर ज्ञान नहीं था लेकिन, 
माँ से ज्ञान का गीत मिला।।
जीवन में यूँ आज भी जब, 
मैं कभी उलझ सा जाता हूँ।।
सच कहता हूँ यारों तब, 
मंदिर-मस्जिद न जाता हूँ।।
अपनी माँ की ममता के, 
आँचल में मैं सो जाता हूँ।।

©Shashank मणि Yadava "सनम"
  माँ की महिमा और उसकी ऊंचाई को व्यक्त करती हुई पंक्तियाँ

माँ की महिमा और उसकी ऊंचाई को व्यक्त करती हुई पंक्तियाँ #कविता

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