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धड़कनों की दास्ताँ -----सुन रही साँसों ने











धड़कनों की दास्ताँ -----सुन रही साँसों ने ----ज़िंदगी कहा -----और खुल गईं ----तमाम मज़हबी किताबें  ----इंसानों के नाम की----!!!

©Vivek
  #धड़कनों की दास्ताँ
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Vivek

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#धड़कनों की दास्ताँ #कविता

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