मैंने तेरी बेवक्त की प्यास समझीं, तुने मेरे फर्ज का दर्द नहीं समझा, मैं तुझे हर राह पर खड़ा नज़र आया, तुम ने मुझे राह का रोड़ा समझा, मैं मजबूर हूं अपने असूलों से, तुने कभी अपने बचपन को नहीं समझा, अभी वक्त नहीं है जिस्म के सौदे का, तुने अभी इन भंवरों को नहीं समझा। ©Harvinder Ahuja #भटकता यौवन #childlabour