रस्में बिखरी, कसमें बिखरी, बिखरी तेरी यादें है ख़ुद को बिसरा, बिसरा ज़माना, याद तेरी बातें है साँस बहती, धड़कन चलती, "लब" यह रुलाते है जुदा जिस्म हुए, बस रूह से रूह की मुलाकातें है याद कर लूँ, साथ चल लूँ, 'नसीब' की यह बातें है दर्द सह लूँ, ज़ख़्म भर लूँ, 'एहसास' के यह नाते है नींद ले लूँ, ख़्वाब देख लूँ, कैसे? लोग भूल पाते है ज़ुर्म कर लूँ, इश्क़ कर लूँ, ग़म कैसे? सह जाते है नाम तेरा लबों पर ह्रदय में प्रतिबिंब यह सजाती है निगाहें मेरी तेरे प्रतिबिंब से यूँ नित लाड़ लड़ाती है हाँ तू साथ नहीं मेरे, यूँ एहसास मेें तू नज़र आती है 'यादों' का सागर संग है, प्यास फ़िर लग आती है ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1034 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।