तुम्हे कहने की आदत थी मुझे सुनने की आदत थी , जमाना रूठ जाता था उसे बुनने की आदत थी , न जाने कब जमाने की ये आदत पड़ गई तुमको, वगरना, एक दूजे को सदा चुनने की आदत थी। वगरना=यद्यपि The Poet's Library #ThePoetsLibrary #Sanjaykirar #poetry