अंज़ाम की परवाह करते तो इश्क़ में पागल ना होते ख़्वाबों में हक़ीक़त ना जीते तो यादों में तनहा ना होते तेरी फुरकत में आंसू ना झलकते तो गम-ए-इजहार से मुख्तलिफ ना होते ©Manku Allahabadi फुरकत ................................................. अंज़ाम की परवाह करते तो इश्क़ में पागल ना होते ख़्वाबों में हक़ीक़त ना जीते तो यादों में तनहा ना होते