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( जख़्म ) *जख़्म*कितना भी गहरा हो हम सहने की हिम्मत

( जख़्म )
*जख़्म*कितना भी गहरा हो
हम सहने की हिम्मत रखते हैं

जब भी हम टूटे इस दुनियां में
तेरे आगे रोने का मन करते हैं

तुमसे ही रोशन है दुनियां मेरी
तुमसे ही रात और दिन हैं मेरे

कभी मरहम नहीं मला किसी ने
*जख़्म* कितने लगे किसने देखे हैं

हर कोई चल देता  तन्हा छोड़कर
तुम क्या जानो हम कितना रोते हैं !!

©Anjali Nigam
  #जख़्म
anjalinigam4281

Anjali Nigam

Bronze Star
New Creator

#जख़्म

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