---- कही मेरी जान नाराज़ ना हो जाये इसीलिए अाज बड़े दिनों बाद मेरी डायरी को खोला बेचारी नन्ही जान मेरे भारी भर कम किताबों के बोझ तले थी दबी छूते है उसे,उसने कहा क्या इतने दिनों में तुम्हें मेरी याद ना आई ना कभी मुझसे मिलने आई ना ही कभी पैग़ाम भेजा ख़ैरियत का चलो छोड़ो वो सारी बातें अब तो तुम बस देखो करिश्मा हवाओं का