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प्रेम सहेजो तुम जैसे वर्षों से सहेजे गए कंगन किसी

प्रेम सहेजो तुम
जैसे वर्षों से सहेजे गए कंगन किसी नववधू के
जैसे सहेजा गया कोई मोती किसी सीप में
जैसे सहेजी गयी कुछ सेल्फियां और तस्वीरें वर्षों तक... प्रेम मुझसे 
जैसे कस्तूरी कोई 
किसी मृग की,
होता हूँ तुझमें ही
और रहूँगा तुझमें ही कहीं...
ना मांगो इसे स्वर्ण मृग समझ कोई
ना भेजो किसी राम को मेरे पीछे इसे पाने हेतु...
प्रेम सहेजो तुम
जैसे वर्षों से सहेजे गए कंगन किसी नववधू के
जैसे सहेजा गया कोई मोती किसी सीप में
जैसे सहेजी गयी कुछ सेल्फियां और तस्वीरें वर्षों तक... प्रेम मुझसे 
जैसे कस्तूरी कोई 
किसी मृग की,
होता हूँ तुझमें ही
और रहूँगा तुझमें ही कहीं...
ना मांगो इसे स्वर्ण मृग समझ कोई
ना भेजो किसी राम को मेरे पीछे इसे पाने हेतु...