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सुसाइड पॉइंट यकायक जाने क्या ख़्याल आया के चलो चलते

सुसाइड पॉइंट
यकायक जाने क्या ख़्याल आया के चलो चलते है सुसाइड पॉइंट ,,,,,,,,
        झांक के देखा तो इक गहरी खाई जो भरी पड़ी थी उन ख्वाहिशों से जिनकी वहाँ जाके दम टूटी थीं ,,,,,,,,,,,
  हवा में लटका इक लड़का को पढ़ रहा था किताबें 10वीं की, कि अगली बार 10वीं पास होना ही है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
 एक मोहब्बत का सिपाही जो ये बार बार कह रहा था मोहब्बत बुरी नहीं होती मेरी नदानी मुझे फ़ना कर गई ,,,,,
  ,,,,,दूर नीचे खाई के बीचों भीच एक बुड्डा गीली लकड़ियों को मुंह पे फूंक रहा था के सूख जाएं तो चूल्हा जला लेगा ,,,,,,,
ठंड खा के मरा हुआ इक नन्हा शहज़ादा बर्फ़ ओढ़े लेटा था इंतज़ार में के धूप निकले और पिघले वर्फ़ तो उठ जाएगा ,,,,,,,
 इक नन्हीं पैदा हुई अरब की शहज़ादी सी दिखती गुड़िया जो चढ़ गई भेंट, के लड़की जो ठहरी  ,,,,,,,,,,,,,,मुस्कुरा रही थी ,,,,,,,,,,
   इक सिपाही जो देश को तो बचा गया पर अपनी पेंशन न बचा सका बड़े बाबू से ,,,,,,,
इक किसान बीज लिए बोये जा रहा इक ऐसी फसल जो पक जाए तो शायद नेता जी बदन से मवाद फट पड़े,,,,,,,,
        इक शख़्स घड़ी घड़ी देख रहा घड़ी था के जैसे अपने वक़्त के इंतजार में हो किसी अपने की याद दिला गया,,,,,,,
        
कौन कमख़त कह रहा था के यहाँ ख़ामोशी पसरी रहती है कभी झाक के देखो उस तऱफ और बताओ क्या दिखा ,,,,,,,,,,,

 ©️✍️ सतिन्दर पेशे ख़िदमत है इक ताज़ा नज़्म
                                    सुसाइड पॉइंट
यकायक जाने क्या ख़्याल आया के चलो चलते है सुसाइड पॉइंट ,,,,,,,,
        झांक के देखा तो इक गहरी खाई जो भरी पड़ी थी उन ख्वाहिशों से जिनकी वहाँ जाके दम टूटी थीं ,,,,,,,,,,,

     हवा में लटका इक लड़का को पढ़ रहा था किताबें 10वीं की, कि अगली बार 10वीं पास होना ही है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

     एक मोहब्बत का सिपाही जो ये बार बार कह रहा था मोहब्बत बुरी नहीं होती मेरी नदानी मुझे फ़ना कर गई ,,,,,
सुसाइड पॉइंट
यकायक जाने क्या ख़्याल आया के चलो चलते है सुसाइड पॉइंट ,,,,,,,,
        झांक के देखा तो इक गहरी खाई जो भरी पड़ी थी उन ख्वाहिशों से जिनकी वहाँ जाके दम टूटी थीं ,,,,,,,,,,,
  हवा में लटका इक लड़का को पढ़ रहा था किताबें 10वीं की, कि अगली बार 10वीं पास होना ही है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
 एक मोहब्बत का सिपाही जो ये बार बार कह रहा था मोहब्बत बुरी नहीं होती मेरी नदानी मुझे फ़ना कर गई ,,,,,
  ,,,,,दूर नीचे खाई के बीचों भीच एक बुड्डा गीली लकड़ियों को मुंह पे फूंक रहा था के सूख जाएं तो चूल्हा जला लेगा ,,,,,,,
ठंड खा के मरा हुआ इक नन्हा शहज़ादा बर्फ़ ओढ़े लेटा था इंतज़ार में के धूप निकले और पिघले वर्फ़ तो उठ जाएगा ,,,,,,,
 इक नन्हीं पैदा हुई अरब की शहज़ादी सी दिखती गुड़िया जो चढ़ गई भेंट, के लड़की जो ठहरी  ,,,,,,,,,,,,,,मुस्कुरा रही थी ,,,,,,,,,,
   इक सिपाही जो देश को तो बचा गया पर अपनी पेंशन न बचा सका बड़े बाबू से ,,,,,,,
इक किसान बीज लिए बोये जा रहा इक ऐसी फसल जो पक जाए तो शायद नेता जी बदन से मवाद फट पड़े,,,,,,,,
        इक शख़्स घड़ी घड़ी देख रहा घड़ी था के जैसे अपने वक़्त के इंतजार में हो किसी अपने की याद दिला गया,,,,,,,
        
कौन कमख़त कह रहा था के यहाँ ख़ामोशी पसरी रहती है कभी झाक के देखो उस तऱफ और बताओ क्या दिखा ,,,,,,,,,,,

 ©️✍️ सतिन्दर पेशे ख़िदमत है इक ताज़ा नज़्म
                                    सुसाइड पॉइंट
यकायक जाने क्या ख़्याल आया के चलो चलते है सुसाइड पॉइंट ,,,,,,,,
        झांक के देखा तो इक गहरी खाई जो भरी पड़ी थी उन ख्वाहिशों से जिनकी वहाँ जाके दम टूटी थीं ,,,,,,,,,,,

     हवा में लटका इक लड़का को पढ़ रहा था किताबें 10वीं की, कि अगली बार 10वीं पास होना ही है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

     एक मोहब्बत का सिपाही जो ये बार बार कह रहा था मोहब्बत बुरी नहीं होती मेरी नदानी मुझे फ़ना कर गई ,,,,,