मेरी रातो के खुआबो का मुनकिर तू बता एक आरशे से जागा हूँ।। इन आँखों को पता। सुरख आँखों को देख मेरा किरदार कह रहे।। कुछ तो मिले हमें और हाँ कह गये।।याद आया हा नसेड़ी के गुलज़ार कह गये।। शीशे को देख अपनी तहरीर मेनै की।। रातो को जागने की बजह खुद से पुछा ली।। खुद तो समझ गया हूँ।। लोगों ने ये कहाँ।। खुद ही सो जाना अब उन को जागा के।। तुम।। #सुरख #आँखे