एक दिन मेरे गॉव में ,कुछ शैतानियां मिली थी मुझको । जो न चाहकर भी बड़ी हो गई ,वो कुछ परछाइयां मिली थी मुझको । वो सांथ मेरे झगड़ती सी ,गली की वीरानियाँ मिली थी मुझको । कुछ तड़पती सी ,कुछ कहती सी ,नानी की कहानियां मिली थी मुहको । एक दिन मेरे गॉव में .............................................................! शर्मा नील (छोटे शायर ) Ek din mere gaon me.....