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मेरे तिश्नगी-ए-दिल को लगा सच है, मगर मोहब्बत का एक

मेरे तिश्नगी-ए-दिल को लगा सच है,
मगर मोहब्बत का एक सराब थी वो।

चंद ग़मगीन लम्हों की खुशी,
ज़िन्दगी भर का अज़ाब थी वो।

~Hilal #सराब
मेरे तिश्नगी-ए-दिल को लगा सच है,
मगर मोहब्बत का एक सराब थी वो।

चंद ग़मगीन लम्हों की खुशी,
ज़िन्दगी भर का अज़ाब थी वो।

~Hilal #सराब