बात तू मेरी मान ले इतनी, ईसा हूँ तो राम भी मैं। (सम्पूर्ण कविता अनुशीर्षक में) एक पुरानी कविता को विस्तार दिया है। "धार्मिक" लोग कृपया दूरी बनाए रखें। जलने की संभावना है। ------------------------------------------------ ना मक्का की धूल हूँ, ना शिव का त्रिशूल हूँ। धर्मों में बंटा, मैं बड़ा मजबूर हूँ।