कोई अपने गांव की मिट्टी हाथो में लिए चल पड़ा है शहर , कुछ सपने सजाए हुए , पर ये नहीं पता कि रिज़्क़ की दौड़ उसे, कहां तक दौड़ाएगी , खाना तक नहीं बनाना आता जिसको, देखो अब क्या-क्या सिखाएगी, ये भी नहीं पता कि कब अपने आशियां में लौट कर जाएगा, क्या पता कब तक इन किरायों के मकानों में, दीप दिवाली के जलाएगा, घर का लाडला, वो बड़ा अजीज शख्स, देखो कब तक अपनो को , बस याद कर रह पाएगा वो खेतों से जुड़ा, हरियाली को छोड़, शहर के धुओं में .. शायद , अब खो जाएगा ।। : रविकांत तिवारी @pen_portrait01 ©Ravikant Tiwari #ravisankrit20 it20 #pen_portrait01 #ravisankrit #penportrait01 ait #shyari #gazals #findyourself