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कितना भी भयावह चाहे वो काल है, सत्य रक्त से बना बड

कितना भी भयावह चाहे वो काल है,
सत्य रक्त से बना बड़ा विकराल है।

कपटी मंशा तेरी बड़ी निराधार है,
गूंजे जो विश्व में वो सत्य की हुंकार है।

अहंकारी रावण भी ढला, तू तो इंसान है,
कष्ट निवारे जो जग के वो प्रभू श्री राम हैं 🙏🏻 विजय दशमी की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻


#poetry
#poem
#shayari
#life
#hope
कितना भी भयावह चाहे वो काल है,
सत्य रक्त से बना बड़ा विकराल है।

कपटी मंशा तेरी बड़ी निराधार है,
गूंजे जो विश्व में वो सत्य की हुंकार है।

अहंकारी रावण भी ढला, तू तो इंसान है,
कष्ट निवारे जो जग के वो प्रभू श्री राम हैं 🙏🏻 विजय दशमी की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻


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nazarbiswas3269

Nazar Biswas

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