एक छोटी चुहिया एक थी चुहिया छोटी-सी, पूंछ थी उसकी लम्बी सी, छोटी-सी और मोटी-सी, फुदक-फुदक के चलती थी, एक थी चुहिया..............., कभी इधर-से कभी उधर-से, घर मे दौड़ लगाती ख़ूब, पूरे घर में बनके शेर इधर-उधर चकराती ख़ूब, बिल्ली की आवाज़ को सुनकर, राजधानी। एक्सप्रेस बन जाती वो, बिल्ली को वो आते देख... जल्दी से बिल में चुप जाती वो, एक थी चुहिया.......... #एकछोटीचुहिया