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वो शाम मुझे आज भी याद है जब मैं दुविधा में फंसी श

वो शाम मुझे आज भी याद है जब मैं दुविधा में फंसी  शांति की तलाश में आगे बढ़ती जा रही थी । चलते-चलते बहुत दूर निकल चली । मैं कुछ अलग ही दुनिया में प्रवेश कर रही थी मन में सुकून और शांति थी । वह सारी बातें जो मुझे अंदर ही अंदर झकझोर रही थी । धीरे 

धीरे जैसे-जैसे मेरे कदम आगे बढ़ते गए इन सब से मैं जैसे मुक्त हो रही थी। 
सहसा मुझे रास्ते में एक वृद्ध महिला नजर आई । हाथों में लाठी लिए हुए वो धीरे धीरे चल रही थी। मैं भी चलते चलते उनके कदमों के बराबर आ गई थी और फिर उन्हीं की कदमों की लय में आगे बढ़ती चली गई। बातों ही बातों में उन्होंने मुझसे मेरी परेशानी  का कारण पूछा और चलते हीं चलते उन्होंने उसका निदान भी कर दिया । फिर उन्होंने मुझे घर लौट जाने को कहा क्योंकि रात होने वाली थी ।मैंने भी उन्हें प्रणाम  किया और फिर उनसे आशीर्वाद लेकर घर चली आई।
फिर वक्त गुजरा गुजरता गया।बंद पड़े रास्तों से भी  उम्मीद की नई किरण की झलक दिखाई पड़ रही थी।मेरी जिंदगी में एक अलग ही बदलाव नजर आ रहा था। हारी हुई उम्मीद में न जाने उन्होंने उम्मीद का कैसा दिया जला दिया था हर वो काम जिसे करने में दिल मेरा डरता था, कतराता था। आज उसे भी  बड़े सुकून से किए जा रहा था।सब कुछ बढ़िया चल रहा था। इन सभी  का धन्यवाद करने के लिए मेरा मन उस वृद्ध महिला से एक बार फिर से मिलने के लिए व्याकुल हुआ जा रहा था ।

 पहली मुलाकात में तो दुविधाओं में जकड़ा हुआ मेरा मन था... लेकिन इस बार खुशी में सराबोर मन लिए एक दिन निकल पड़ी , उनसे मिलने। ना पता था न उनका  ठिकाना रास्ते में चहलकदमी करते हुए बना था हमारा याराना... इसी आस में मैं आगे बढ़ती जा रही थी कि शायद उनसे मुलाकात फिर से हो जाए  ...बहुत दूर गई ...लेकिन... "आज वह बूढ़ी दादी वहां नहीं दिखी तो...." मेरा मन फिर से उदास हो गया ।आज भी मैं बीच-बीच में जाकर उन रास्तों पर उन्हें ढूंढा करती हूं कहीं किसी रोज़ फिर वो मुझसे मिल जाए और मैं उनका दिल से शुक्रिया अदा कर पाऊं..... !!!!!!!!!!!!

©Prisha Priya क्या मैं फिर से उनसे मिल पाऊंगी.....🥺🥺 #DaadiJi #nojoto #nojotoquotes #nojotohindi #hindiwriters #hindiwritings #feelings #story  #prishapriyaquotes
वो शाम मुझे आज भी याद है जब मैं दुविधा में फंसी  शांति की तलाश में आगे बढ़ती जा रही थी । चलते-चलते बहुत दूर निकल चली । मैं कुछ अलग ही दुनिया में प्रवेश कर रही थी मन में सुकून और शांति थी । वह सारी बातें जो मुझे अंदर ही अंदर झकझोर रही थी । धीरे 

धीरे जैसे-जैसे मेरे कदम आगे बढ़ते गए इन सब से मैं जैसे मुक्त हो रही थी। 
सहसा मुझे रास्ते में एक वृद्ध महिला नजर आई । हाथों में लाठी लिए हुए वो धीरे धीरे चल रही थी। मैं भी चलते चलते उनके कदमों के बराबर आ गई थी और फिर उन्हीं की कदमों की लय में आगे बढ़ती चली गई। बातों ही बातों में उन्होंने मुझसे मेरी परेशानी  का कारण पूछा और चलते हीं चलते उन्होंने उसका निदान भी कर दिया । फिर उन्होंने मुझे घर लौट जाने को कहा क्योंकि रात होने वाली थी ।मैंने भी उन्हें प्रणाम  किया और फिर उनसे आशीर्वाद लेकर घर चली आई।
फिर वक्त गुजरा गुजरता गया।बंद पड़े रास्तों से भी  उम्मीद की नई किरण की झलक दिखाई पड़ रही थी।मेरी जिंदगी में एक अलग ही बदलाव नजर आ रहा था। हारी हुई उम्मीद में न जाने उन्होंने उम्मीद का कैसा दिया जला दिया था हर वो काम जिसे करने में दिल मेरा डरता था, कतराता था। आज उसे भी  बड़े सुकून से किए जा रहा था।सब कुछ बढ़िया चल रहा था। इन सभी  का धन्यवाद करने के लिए मेरा मन उस वृद्ध महिला से एक बार फिर से मिलने के लिए व्याकुल हुआ जा रहा था ।

 पहली मुलाकात में तो दुविधाओं में जकड़ा हुआ मेरा मन था... लेकिन इस बार खुशी में सराबोर मन लिए एक दिन निकल पड़ी , उनसे मिलने। ना पता था न उनका  ठिकाना रास्ते में चहलकदमी करते हुए बना था हमारा याराना... इसी आस में मैं आगे बढ़ती जा रही थी कि शायद उनसे मुलाकात फिर से हो जाए  ...बहुत दूर गई ...लेकिन... "आज वह बूढ़ी दादी वहां नहीं दिखी तो...." मेरा मन फिर से उदास हो गया ।आज भी मैं बीच-बीच में जाकर उन रास्तों पर उन्हें ढूंढा करती हूं कहीं किसी रोज़ फिर वो मुझसे मिल जाए और मैं उनका दिल से शुक्रिया अदा कर पाऊं..... !!!!!!!!!!!!

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Prisha Priya

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