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जाने कितने जीवों को बेघर किया और कितनों का शिकार

जाने कितने जीवों को बेघर किया 
और कितनों का शिकार किया 
अपने मतलब के लिए तूने 
कितनों का संहार किया 
कुछ का तूने व्यापार किया 
जीवों में हाहाकार किया 
खुदगर्ज़ है दयावान नहीं तू 
अब मान ले इन्सान नहीं तू 
ये जीवों के अभयारण्य बनाकर
कितनों को बचाया तूने 
अपनी पूरी सृष्टि के चक्र को बिगाड़ा तूने
अपनी ताकत की यूं नुमाइश न कर
प्रकृति को यूं बर्बाद न कर 
न जाने कब सनशीलता कहर में बदल जाए
न जाने कब ये वक्त बदल जाए ।।
© रिमझिम प्रकृति #nojotohindi#kalakaksh#poetry#poem#kavita#nature#life#ecosystem#balance
जाने कितने जीवों को बेघर किया 
और कितनों का शिकार किया 
अपने मतलब के लिए तूने 
कितनों का संहार किया 
कुछ का तूने व्यापार किया 
जीवों में हाहाकार किया 
खुदगर्ज़ है दयावान नहीं तू 
अब मान ले इन्सान नहीं तू 
ये जीवों के अभयारण्य बनाकर
कितनों को बचाया तूने 
अपनी पूरी सृष्टि के चक्र को बिगाड़ा तूने
अपनी ताकत की यूं नुमाइश न कर
प्रकृति को यूं बर्बाद न कर 
न जाने कब सनशीलता कहर में बदल जाए
न जाने कब ये वक्त बदल जाए ।।
© रिमझिम प्रकृति #nojotohindi#kalakaksh#poetry#poem#kavita#nature#life#ecosystem#balance
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