थोड़ी मस्ती थोड़ा सा ईमान बचा पाया हूँ, ये क्या कम है अपनी पहचान बचा पाया हूँ, कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकती यादें, जीने का मैं इतना ही सामान बचा पाया हूँ। ©Navin Sharma THODI SI MASTI#