कब तक है सिर पर छत है इसका भी कोई भरोसा नही है साहब, जमीने तो छिन जाती विकास के नाम पर कल यह कानून बना कर जान ना मांग ले अपनी स्वार्थ की पहचान खातिर...!! #चेतावनी........ सम्पूर्ण राजनीतिक लेख मेरे पूर्णतः काल्पनिक है इसे गम्भीरता से ना ले, हमारा उद्देश्य किसी को बहकाना ,या समझाना नही है, हम सिर्फ़ व्यंग्य करके अपने लेखन में मात्रा,अक्षर आदि का सुधार करने का बस अभ्यास कर रहे है, गम्भीरता से मत लेना,एक व्यंग्य मात्र है यह !! धन्यवाद