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बचपन (ग़ज़ल) वो किताबें पेंसिल खिलौनें कोई लौटाने तो

बचपन (ग़ज़ल)
वो किताबें पेंसिल खिलौनें कोई लौटाने तो आए,
चिल्लर ज़्यादा क़ीमती है कोई बताने तो आए।

ना क्रिकेट ना स्कूल ना वो बचपन के दोस्त रहे,
कोई लगाकर गले बचपन याद दिलाने तो आए।

सबसे हसीं मोड़ ज़िंदगी का जैसे कल की बात थी,
कोई पकड़कर हाथ मेरा फ़िर साथ निभाने तो आए।

जेबें खाली दिल बड़ा वो मासूमियत कहाँ बचीं,
हम ख़ुद से नाराज़ है फिर कोई मनाने तो आए।

चल चलकर हज़ारों मील थक चुका हूँ 'अंजान' ,
लौटना चाहता हूँ गोद में बस माँ बुलाने तो आए। ये ग़ज़ल मेरी पसंदीदा है, मुझे नही लगता इससे अच्छा कुछ लिखा है मैंने क्योंकि ये मेरे दिल के काफ़ी क़रीब है।बचपन सबका ख़ास होता है,मेरा भी है। पढ़ के बताइए कैसी है? 🙏🏻❣️
#कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#रमज़ान_कोराकाग़ज़ 
#kkr2021 
#kkबचपन 
#yqdidi 
#yourquote
बचपन (ग़ज़ल)
वो किताबें पेंसिल खिलौनें कोई लौटाने तो आए,
चिल्लर ज़्यादा क़ीमती है कोई बताने तो आए।

ना क्रिकेट ना स्कूल ना वो बचपन के दोस्त रहे,
कोई लगाकर गले बचपन याद दिलाने तो आए।

सबसे हसीं मोड़ ज़िंदगी का जैसे कल की बात थी,
कोई पकड़कर हाथ मेरा फ़िर साथ निभाने तो आए।

जेबें खाली दिल बड़ा वो मासूमियत कहाँ बचीं,
हम ख़ुद से नाराज़ है फिर कोई मनाने तो आए।

चल चलकर हज़ारों मील थक चुका हूँ 'अंजान' ,
लौटना चाहता हूँ गोद में बस माँ बुलाने तो आए। ये ग़ज़ल मेरी पसंदीदा है, मुझे नही लगता इससे अच्छा कुछ लिखा है मैंने क्योंकि ये मेरे दिल के काफ़ी क़रीब है।बचपन सबका ख़ास होता है,मेरा भी है। पढ़ के बताइए कैसी है? 🙏🏻❣️
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#collabwithकोराकाग़ज़ 
#रमज़ान_कोराकाग़ज़ 
#kkr2021 
#kkबचपन 
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