ये इश्क़ का फितूर है कोई चंद लम्हों कि आशिकी नहीं यारा समझा करो मेरी कलम से लिखे हर अल्फ़ाज़ की सोच हो तुम तोह मेरी कलम का कागज पर पड़ने वाली परछाई हो तुम समझा करो बयां नहीं कर पाता इसलिए लिख दिया करता हूं कविताओं में अपनी आशिक़ी तुम मोहब्बत हो यारा कोई तिजारत नहीं जो दिन ढलते ख़तम हो जाया करती हो समझा करो✍️✍️ मेरी कलम✍️✍️ हर बात बताई नहीं जाती कुछ बातें समझने की होती हैं। हास्य-व्यंग्य लिखें। #समझाकरो #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine