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कह दो ना के अभी भी हो तुम यही कहीं बारिश की इन बूं

कह दो ना
के अभी भी हो तुम यही कहीं
बारिश की इन बूंदों में,
हवा की सरसराहट में,धूल की आंधी में,
सूरज की चिलचिलाती धूप को
आज भी देखती हो
शायद भयंकर लू में मुझे ढूंढती हो,
कह दो ना
के आज भी मेरे करीब हो तुम
मेरे आशियाने की हवाओ में हो
मेरे बच्चों कि अधूरी कहानियों में हो,
उनकी नादानियों को शरारतों को
आज भी देखती हो यही कहीं
हां मां तुम पास पास हीं लगती हो
तुम दिखती नहीं पर करीब हीं रहती हो
कह दो ना के तुम हो यहीं कहीं 
कह दो ना
राजीव

©samandar Speaks
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