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खाली सा रह गया है मुझमें कुछ, दिल का मकाँ खुशियों

 खाली सा रह गया है मुझमें कुछ,
दिल का मकाँ खुशियों से भरता नहीं..!
ग़म कर लेता है घर इसमें जल्दी,
खुशियों का पैमाना भरता नहीं..!
मर जायेगा बेमतलब की मौत ये,
बदहाली की ज़िन्दगी से डरता नहीं..!
सुख कर जाता है बेवफ़ाई पर,
दुःख वफ़ा से मुकरता नहीं..!
किसे समझें बुरा और,
किसे हम अच्छा समझें..!
जो बदल गया वो दिखता नहीं,
जो ठहर गया वो संभलता नहीं..!

बदल गया(सुख)
ठहर गया(दुःख)

©SHIVA KANT
  #khaalipan