Alone बुढ़ापे में जो इंसान इतना सब सहता है बचपन में वो बच्चा मदमस्त होकर रहता है ना किसी से शिकवा ना किसी से बैर पूरा दिन बस खुद की दुनिया में ही रहता है पापा का वो लाडला, मां के आंचल में रहता है पापा से जब वो डरता, मां से सब कुछ कहता है बड़ा होकर बनता है अपने परिवार का सहारा दो से तीन,तीन से चार,ऐसे बनता है सुखी परिवार जो करता था सबसे इतना लाड प्यार धीरे-धीरे बन जाता है ,उसका एक अलग परिवार जो करता था कभी मां से हा-हुजूर हो जाता है फिर उसको खुद पर ही गुरूर दुनिया की चकाचौंध में जब वो मगरुर रहता है उस वक़्त उसका परिवार नजाने क्या क्या सहता है ठोकर जब उसको दुनिया से लगती है, सच्चाई उसको तब जान पड़ती है #myfamilyismylife I love My life