ये कैसे संस्कार है कैसी संस्कृति है, विवाह जरूरी है लेकिन हर किसी के लिए जरूरी नहीं है, क्यों हर किसी को एक तरह की प्रक्रिया से गुजारा जाएं, माता पिता को बहुत कुछ सीखने की जरूरत है केवल कमाना और घर का काम करना ही जीवन नही है, बच्चें पैदा करना ही जीवन नही है।
ऐसा नहीं है कि शादियां बुरी ही होती है लेकिन हम एक दुसरे का आदर नहीं करते,मालिक बनते है एक दुसरे के इसलिए शादियां बुरी बन जाती है।
बच्चो को बुरी शादी से निकालना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी है, बच्चें ना चाहे तो शादी ना कराना।
केवल electronic device चलाने को आधुनिक युग या मॉर्डन जमाना नही कहा जाएगा। जब तक घर की नारी का जीवन आसान जीने लायक नही लगेगा तब तक कुछ सही नही होगा रिश्तों में।
Dear parents. बेटियो को अक्षर ज्ञान ही ज़रूरी है तो आपको हमसे ज्यादा ज्ञान है आप ही क्यों नही ज्यादा कमा लेते ताकि हमारे सर से ये कमाने का भूत तो उतर जाए।
हमें भी अपना नाम बनाना है। हमे प्यार में ही नही पड़ना, सजना ही नही है,घर के कामों में मारे ही नही जाना है। साथ दे दो हमारा भी भाई पिता।😡
हम अपने घरों को सुधारे तो कोई महानुभाव कोई सरकार कोई कानून कोई समाज सेवक पैदा नहीं होंगे, हमारे घरों में हमारी बहन बेटियों के हाल खराब है उन्हें बेहतर करने का जिम्मा हम औरों को दे?हम खुद घर में भेदभाव जैसी चीजे करते है तब समाज और जमाना हमारी बेटियो के साथ करता है। #Shayari#घरेलूहिंसा#3M#MissionMaanyMaang#मिशनमान्यमांग