दिव्य कामना अंतश्चेतना का है आधार, दे सुख समृद्धि सुखमय भोगे ये संसार, अनादि ही बन जब अंतकाल तक जाये, जगती फिर शिव की महिमा अपरम्पार, कलुष कलम सब आपसी ही बेमानी है, करो शुद्ध रूपी शिष्ट,सदाकत व्यवहार। प्रिय लेखकों/ कातिबों 1: स्वागत है आपका इस नए विषय पर । कोलाब कीजिए, अपने मन के विचार व्यक्त कीजिए केवल भाषा संयमित रखें। अपने विचारों से दूसरों को भी सोचने पर विवश कर दें। 2 : केवल 4-6 पंक्तियों में लिखें। 3 : कोलाब से पूर्व पिन पोस्ट अवश्य पढ़ें।