हर पल ही वो कहर मे जीती होंगी जाने कैसे उस शहर मे जीती होंगी, अपनी बहन होती तो समझ आता की क्या उस लड़की पर बीती होंगी, उल्टा उसी पर अंगुलियाँ उठती होंगी जाने क्या ही इस समाज की रीति होंगी, वो दरिंदे बेखौफ घूमते है अभी भी हाँ शायद इस क़ानून की यही नीति होंगी Save daughter teach daughter