मगही भाषा में पत्नी चरित्र आज के नारी के चरित्र समझे न कोई मर्द! सो जाए मुँह फ़ेर के कहे कि सिर में दर्द! कहे कि सिर में दर्द दवा दारू करबाब! ऊ सूती हे घोड़ा बेच के तू उनका सर दबाब! नया साड़ी, टीवी मोबाइल के फर्माइश कर के! मंगा लेव ऊ नारी क्षारी क्षण भर में हँस कर के! 👁 खतरा के घंटी जानो बीबी के मुस्कान! जौन दीना ऊ खुस दिखे त मन में झट पट जान! मन में झटपट जान घर में आवे बाला साली हे! साल भर के बचत कामिनी होने बाला खाली है! ऐसे तो हर दिन हमसे रखे वो तकरार! काम पड़े तॊ झटपट करती बेलन पर अधिकार!