ज़ख़्म सिलते नहीं हम जो मिलते नहीं एक मुद्दत से अब फूल खिलते नहीं कैसे शिकवा करें लब ये हिलते नहीं रब भी मिल जाता है तुम ही मिलते नहीं चैन क्यूंकर मिले दिल ही मिलते नहीं नज़्म भी रूठी है लफ़्ज़ मिलते नहीं ग़ैर से बोलें क्या मीत मिलते नहीं -अंजलि राज #YQdidi #अंजलिउवाच #ज़ख़्मसिलतेनहीं #मीत #फूल #लफ़्ज़ #ग़ैर