इक अरसा बीत गया तुम्हें गुज़रे पर आज भी तुम्हारी हंसी मेरे कानों में गूंजती है कई बार तुम्हारी गैरमौजूदगी को स्वीकार करने कि कोशिश कि लेकिन आज भी यकीन करना मुश्किल है मेरे लिए...................... इक अरसा बीत गया तुम्हें गुज़रे तुम्हारी यादों को दिल में दफनाया है आज भी मैंने काश कि खुदा ये दोस्ती कभी ना तोड़ता, ना बिछड़ने देता दो दोस्तों को इक अरसा बीत गया तुम्हें गुज़रे पर तुम्हें नहीं भूला सकी