किसी को पाकर खो दिया, हमने हँसते हँसते रो दिया। कल रात कुछ गुजरी इस तरह, हमने पुरा तकिया भीगो दिया। टूटा आयना तो कुछ चोंट लगी मुझे भी, मगर मुझे हाक़ीक़त से मिला तो दिया। क्या फर्क पडा किसी को, मगर हमने तो सब कुछ गवा दिया। वो चांद के इंतज़ार में हैं आज किसी और के लिये, हम टूटे तो भी किसी को पता तक ना होने दिया। इशक़ एक तरफा था , एक तरफा ही रह गया। वो हमारे हुए जरुर, मगर फासला उतना ही रह गया, तडपे हम जरुर मगर उनको भी सोने नही दिया, इल्जाम सारा हमपर लगा दिया उन्होने आसानी से, चाहते तो हम भी इनाम दे देते उनको उनकी बेफाई का, मगर वो मोहबत थी इसलिए उनको हमने बदनाम नही होने दिया। (रोहित बैराग) #इश्क़े अल्फाज