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हिय की मारी सोच अकिंचन, पिय जी झूठ बँधाय गयो मन..


हिय की मारी सोच अकिंचन,
पिय जी झूठ बँधाय गयो मन.....!!
               @पुष्पवृतियाँ

©Pushpvritiya
  #चौपाई
वैरागी मन तुम बिन प्रीतम,
पीर न जाने किन् विध् हो कम...!
कस्तूरी मृग बन कर साजन,
तोहे ढूँढ़े भटके वन वन......!!

विरहिन देह जलन जागे है,
अग्नि सरीखा जल लागे है.....!
pushpad8829

Pushpvritiya

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#चौपाई वैरागी मन तुम बिन प्रीतम, पीर न जाने किन् विध् हो कम...! कस्तूरी मृग बन कर साजन, तोहे ढूँढ़े भटके वन वन......!! विरहिन देह जलन जागे है, अग्नि सरीखा जल लागे है.....! #कविता

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