रूखे सूखे पेड़ में ढूंढ़ रहा है बसेरा ना जाने कब आएगा नया सवेरा आरजू है मत उजाड़ो मेरा आशियाँ मुझे भी रहने दो अपने दरमियाँ #बसेरा #पंक्षी