है जरूरी नही हर कोई राह का हमराही बन जाता है, सफर चाहे कितना भी खुशनुमा क्यूँ ना हो, ये दिल फिर क्यूँ किसी को चाहता है... ना हूँ मै रहनुमा तेरा कोई ना कोई कर्ज़ है तुझ पर मेरा, फिर ये दिल क्यूँ, तंग गलियों मे राह बनाता है... है ना खता मेरी, तुने जो समझा इस दिल को जैसे भी,ज़रा मेरी मजबूरियों कि आह में खंगालो तो खुद को.., समझना ना गलत मुझे हर हालातों में, है ये दिल अब भी धड़कता जीने को., हर लम्हे मे रहना बनकर मेरे दोस्त, कसम है ये अब मेरी तुझको... DQ : 009 #instances #yqbaba #yqdidi