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उलझा उलझा सा था मैं सम्हल सा गया तुझसे मिलने के ब

उलझा उलझा सा था मैं सम्हल सा गया 
तुझसे मिलने के बाद मैं बदल सा गया 
रास्ते पर खड़े दो अधूरे से हम                                               साथ चल चलेंगे तेरी स्वीकृती तो मिले 
लगती है तू मेरी परछाई सी 
धुंदली ही सही मगर परछाई की आकृति तो मिले रास्ते पर खड़े दो अधूरे से हम                                                              साथ चल चलेंगे तेरी स्वीकृती तो मिले                                                                                          तू मुझमें कोई इत्र से घुले।                                                   कुछ ना सही तो मित्र तो मिले

©Prateek #romanticpoetry 

#prateek। #kavita 
#Romantic
उलझा उलझा सा था मैं सम्हल सा गया 
तुझसे मिलने के बाद मैं बदल सा गया 
रास्ते पर खड़े दो अधूरे से हम                                               साथ चल चलेंगे तेरी स्वीकृती तो मिले 
लगती है तू मेरी परछाई सी 
धुंदली ही सही मगर परछाई की आकृति तो मिले रास्ते पर खड़े दो अधूरे से हम                                                              साथ चल चलेंगे तेरी स्वीकृती तो मिले                                                                                          तू मुझमें कोई इत्र से घुले।                                                   कुछ ना सही तो मित्र तो मिले

©Prateek #romanticpoetry 

#prateek। #kavita 
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