मोहन धरती हूँ मैं,और तू है गगन, होगा कहाँ तेरा मेरा मिलन। लाख पहरे यहाँ,प्यार दिल में पले भी तो क्या। एक तू ना मिला मोहन, सारी दुनियाँ मिली भी तो क्या। तकदीर की कोई भूल हूँ, डाली से बिछड़ा हुआ फूल हूँ। मेरा दिल ना खिला, सारी बगिया खिली भी तो क्या है। एक तू ना मिला मोहन, सारी दुनियाँ मिली भी तो क्या। ©Mamta thakur✍️shyam diwani #river