चल बुनते हैं, नूर से, मिलकर,उम्मीदों का घर रंग खुशी के साज हों जिसमें नहीं हो कोई डर हाथ को हर एक काम मिले,मेहनत का वाज़िब दाम मिले सुबह जहाँ हो धूप हौसलें,और रौशनी शाम मिले पैरों को परवाज़ मिले ,और हिम्मत को पर चल बुनते हैं, नूर से, मिलकर, उम्मीदों का घर जहाँ कोई ना भूखा सोए ,और नींद भी आम हो अल्लाह की भी बात चले और गली गली में राम हो ऊँच नीच की बात ना हो, साझा हो हर एक दर चल बुनते हैं, नूर से, मिलकर, उम्मीदों का घर जहाँ किताबें अलख जगाएँ और इल्म की बातें हों जहाँ जंग ना जीत हो कोई और किसी को मातें हों आसमान से बातें करते मिले सभी के सर चल बुनते हैं, नूर से, मिलकर,उम्मीदों का घर जहाँ ना सरहद मिट्टी बाँटें और ना बोए कोई काँटे रंग जात का रोगन ना हो दीन धर्म ना कोई छाँटे इंसान ही इंसान की कीमत,वही जमीं वो ज़र चल बुनते हैं, नूर से, मिलकर, उम्मीदों का घर चल बुनते हैं, नूर से, मिलकर,उम्मीदों का घर रंग खुशी के साज हों जिसमें नहीं हो कोई डर ~मिलकर ©Mo k sh K an #zen #Unison #faith #prayer #unity #humanity #WallTexture