उच्च शिक्षा सम्मानजनक समाधान शीर्षक से प्रकाशित अरुण गुप्ता ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर समग्रता में प्रकाश डाला इसमें कोई संदेह नहीं है कि पिछले कुछ दशकों से देश में उच्च शिक्षा के प्रतिष्ठित संस्थाओं में प्रवेश के साथ ही विसंगति से भरी है स्नातक स्तर पर प्रवेश के दौरान अक्सर लिखना आता है कि कई कॉलेज में प्रवेश के लिए कटऑफ सूची 7% अंकों तक पहुंच गई है इससे विद्यार्थी पर एक अन्य वे दबाव बढ़ता है अधिक से अधिक अंक प्राप्त करने के लिए फिर में एक प्रकार किताबी कीड़ा बन कर रह जाता उसकी स्वर्ग चुना विकास प्रभावित हुई है इतना ही नहीं सभी बोर्ड की परीक्षा में अंक प्रदान को लेकर उदाहरण कार्रवाई के कारण प्रवेश में फील्ड जैसी भावना का अभाव प्रवेश के लिए 12वीं की बोर्ड परीक्षा के अंकों की संख्या काफी हद तक दूर हो गई है हालांकि उनका यह कहना है कि सर्वथा उचित सुधार नहीं होगा के स्थान पर उसका महत्व लेकिन तू इनकार नहीं किया जा सकता कि एक बड़े तबके के छात्रों को इससे उम्मीद प्रस्तावित परीक्षा में क्षेत्रों की अपेक्षा नहीं किया जा सकता लेकिन इसमें यदि छात्रों को अपने विषय में अपने कॉलेज के लिए दावा लगा सकेंगे ©Ek villain #स्वागत योग्य सराहनीय पहल #drowning