हुस्न ही देखा सभी ने, कभी दिल में झांका ही नहीं हुस्न वाले सदा खतावार नहीं होते तड़पते हैं सदा वो सच्चे प्यार के लिए उनके दिल की सदा हर कोई नहीं समझ सकते // लेखन संगी // ख़्वाब-ए-हसीं दिखाने वाले कभी वफ़ादार नहीं होते ज़ुल्म-ओ-सितम करके भी क्यूँ ये ख़तावार नहीं होते क़त्ल करते है मासूम दिलों का ये सर-ए-आम प्रदीप फ़िर भी जहाँ में 'हुस्न' वाले कभी गुनहगार नहीं होते © Pradeep Agarwal (अंजान)