यही होता ध्येय निष्ठ अंकुर का शैल वक्ष पर पनपना असाध्य अवरोधों में विजय की चिरन्तन कल्पना जीवन हव्य बने अपना राष्ट्र अराधन के यज्ञ में समन्वय बने हर मन में और समता रहे पग पग में #संघ #राष्ट्र