इन्सान की चाहत है, कि उड़ने को पर मिले। और परिंदे सोचते हैं, कि रहने को घर मिले। #इंसान #चाहत #उड़ने #पर #परिंदे #सोचते #रहने #घर #tanishka #mehfil_e_gulzar