थोड़े खुशी तो थोड़े डर में निकल गये ना जानें ये दिन कब निकल गये मालूम था ये मंजर हैं रुसवाई का ये ख़्वाब ना जानें कब दिल से निकल गया आई है ये घड़ी जब बिछड़न की तब समझा इक वक़्त था ये जो बस निकल गया अब खुशियां बनाये भी तो कैसे आज फिर एक दिसम्बर और निकल गया #nojotonews#अलविदादिसम्बर#nojoto#poetry#quotes