चलते-चलते इस "सफ़र" में आगे मैं आया माँ की आँखों का हर "ख़्वाब" मैं ले आया बरसती रही आँखे, मैं ज़िम्मेदारी ले आया लबों पर माँ का नाम, याद संग मैं ले आया भीड़ भरी इन शहर की गलियों में मैं आया कंही तुमसा "माँ" मैंने नहीं कोई यहाँ पाया तन्हा अकेला चला जिम्मेदारी के सफ़र में ख़्वाब तेरे मुकम्मल हो, इसलिए मैं आया "रहमत और दुआ" का असर होगा ज़रूर माँ के ख़्वाब पूरा कर लौट जाऊँगा ज़रूर रमज़ान:_चलते-चलते (28/30) #kkr2021 #kkचलतेचलते #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #अल्फाज_ए_कृष्णा #pinterest