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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री ह

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
5 – अक्रोध

'क्रोधं कामविवर्जनात्'

हम सब उन्हें दादा कहते थे। सचमुच वे हमारे दादा - बड़े भाई थे। सगे बड़े भाई भी किसी के इतने स्नेहशील केदाचित् ही होते हों। उनका ध्यान हम सबों की छोटी-से-छोटी आवश्यकता पर रहता था। किसे कब क्या चाहिये। किसे क्या-क्या साथ ले जाना चाहिये।
anilsiwach0057

Anil Siwach

New Creator

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 5 – अक्रोध 'क्रोधं कामविवर्जनात्' हम सब उन्हें दादा कहते थे। सचमुच वे हमारे दादा - बड़े भाई थे। सगे बड़े भाई भी किसी के इतने स्नेहशील केदाचित् ही होते हों। उनका ध्यान हम सबों की छोटी-से-छोटी आवश्यकता पर रहता था। किसे कब क्या चाहिये। किसे क्या-क्या साथ ले जाना चाहिये।

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