कभी सांसों की गर्मी सम्हाल लेती है ऋतु की ठिठुरन और कभी आदमी को ठंडा कर देता है मन का ठंडापन खाद पानी देने पर भी फूल खिलते नहीं महज सुघर धूप में चाहिए इनको भी आस, विश्वास, नेह और अपनापन सुना है नहीं आती घमंडी के बगीचे में कोई बहार जब तक कि इसे छूता नहीं मासूम लड़कपन सिर्फ यथार्थ की रुखाई नहीं हुआ करती बड़कपन कल्पना का आकाश यहां पाता है धनक रंग #toyou #yqwilderness #yqdilemma #yqwarmth #yqcare #yqsharedsmiles